यह एक प्रसिद्ध उद्धरण है जो बाइबल के अनुसार है।
इस वाक्य का अर्थ है कि धन्य है वह व्यक्ति जो दुष्टों के मार्ग का अनुसरण नहीं करता है, यानी जो बुराई और नीतिद्रष्टि से भरे हुए पथ पर नहीं चलता है। इसका मतलब है कि यह व्यक्ति न्याय, सत्य और ईमानदारी के मार्ग पर चलता है। इस वाक्य के माध्यम से बाइबल वचन में नेतृत्व के गुणों को बढ़ावा देती है और अधर्मियों के मार्ग से दूर रहने की सलाह देती है।
यह वचन सत्य है, कि वह मनुष्य धन्य है जो दुष्टों की योजना पर नहीं चलता है। यह अर्थात् वह व्यक्ति जो दुष्टता, बुराई और कुटिलता के मार्ग पर नहीं चलता है, वह अन्याय, असत्य और दुष्टता के कामों से दूर रहता है। ऐसा व्यक्ति न्याय, सत्य, ईमानदारी और उच्च मूल्यों का पालन करता है। वह अपने जीवन में सच्चाई, प्रेम, के मार्ग पर चलता है। जो बाइबल वचन हमे इसके बारे बतातीं है। इस प्रकार, वह धन्य है क्योंकि उसने बुराई के मार्ग को छोड़कर उच्चतम वचनों का मूल्यों का पालन किया है।
परमेश्वर की व्यवस्था में सच्चा सुख।
1) वचन अनुसार जीवन बिताना।
क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो दुष्टों की योजना पर नहीं चलता, न पापियों के मार्ग में खड़ा होता ; और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है!
भजन संहिता 1:1
2) पवित्र वचन को रात दिन ध्यान करना।
भजन संहिता 1:2
3) जो पेड़ बहती नदी के किनारे के पास है उसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।
वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती पानी की धाराओं के किनारे लगाया गया है और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। और जो कुछ वह पुरुष करें वह सफल होता है।
भजन संहिता 1:3
4) दुष्ट लोग भूसी के समान होते हैं।